About Me

अपनी यात्रा के अविस्मरणीय अनुभवों को लिपिबद्ध करने की कोशिश

पदोन्नति के पूर्व की कार्यअधिकता, रचनात्मकता के आड़े आती थी। वर्तमान पदस्थापना, कुछ लिख पाने के लिये फुर्सत के पल उपलब्ध करा रही थी। लिखने की वजह मुझे मिल चुकी थी। सोचा, चलो इस बार के यात्रा वृत्तांत में अपनों को कुछ स्थान दिया जाये। अपने अतीत के बारे में, अपने लोगों के बारे में और उन स्थानों के बारे में कुछ लिख डाला, जिनसे हम जुड़े हुये थे और जुड़े हुये रहेंगे।

मैंने जो लिखा, कैसा है? इसका मूल्यांकन तो आप करेंगे परन्तु इस आलेख को लिखने में मुझे अपार संतुष्टि मिली। लगा जैसे एक बोझ उतर गया हो। पहले भी मुझे लगता रहा है कि अगर कुछ लिखना हो तो सर्वप्रथम किसी को भी अपने बारे में लिखना चाहिए।

मेरे माता-पिता, हमारे पूर्वज, हमारे सगे सम्बन्ध्यिों को मैंने  इस आलेख में स्मरण किया है जिनके कारण ही मुझे लिख पाने का सम्बल प्राप्त हो सका। विशेषकर अपने लेखक पिता को स्मरण करना चाहता हूँ, जिसके कारण मैं अपनी लेखनी उठा पाने में समर्थ हुआ। मेरा जीवन गढ़ने वाली मेरी माँ की ढेर सारी स्मृतियाँ ही इस आलेख को स्वरूप प्रदान करती है। मुद्रक शिशिर गुप्ता को भी धन्यवाद, जिन्होंने मेरे आलेख को एक सुन्दर पुस्तिका का आकार दिया।

अपनी सहधर्मिता कविता, दोनों बच्चों ऋचा और अम्लान को इस अवसर पर स्मरण करना चाहता हूँ, जिन्होंने इस लेखन में मेरा जीवन्त सहयोग किया और व्यस्तता के क्रम में कष्ट उठाए।

और अंत में उस परमात्मा का, जिनके कारण मेरा अस्तित्व है।